धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—465

संत तिलोपा की ख्याति इस रूप में थी कि उनके पास सभी प्रश्नों के सटीक जवाब होते थे। एक बार मौलुंक नाम का एक व्यक्ति...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—464

एक संत परम ज्ञानी थे, तर्क-वितर्क में कोई उनसे जीत नहीं सकता था। अपनी बात के पक्ष में सदैव उनके पास अकाट्य तर्क और ठोस...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—463

शाही सवारी आ रही थी। लोग कतारबद्ध खड़े थे। राजा के प्रति प्रजा में सम्मान था, क्‍योंकि राजा सदा प्रजा के हितों का ख्याल रखता...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—462

गुरु द्रोण जब गुरुकुल की कक्षा में कौरव पांडव विद्यार्थियों को पढ़ाने पहुंचे, तो अत्यंत प्रसन्‍न थे। द्रोण स्वयं परमगुरु थे, लेकिन उस दिन उन्होंने...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—461

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सिंधुराज के राज्य में एक डाकू का बड़ा आतंक था। वह धनी, निर्धन सबको लूटता था। किसी पर दया नहीं करता था। लोग हाथ जोड़...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—460

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प्राचीनकाल की बात है एक राज्य के राजा की मृत्यु के पश्चात् उसका मूर्ख पुत्र गददी पर बैठा।इस प्रकार उस राज्य पर एक मूर्ख राजा...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—459

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एक बार राजा यदु ने ऋषि दतात्रेय से पूछा- “महाराज! मैं जानना चाहता हूं कि आपने आत्मा में ही परमानंद का अनुभव कैसे प्राप्त किया...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—458

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दो मित्र थे। एक बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था और सदैव प्रभु चिंतन में लगा रहता था, किंतु दूसरा मित्र घोर नास्तिक था। वह कभी...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—457

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गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर जब भी रचना कर्म में जुटते थे, तो पूरे मन-प्राण से तन्मय होकर लिखते थे। उस समय उन्हें कतई यह भान नहीं...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—456

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एक राजा और नगर सेठ की घनिष्ठ मित्रता थी। नगर सेठ चंदन की लकड़ी का व्यापार करता था। एक दिन नगर सेठ के मन में...