हिसार,
घुट-घुट कर जीना छोड़ दिया, रुख हवाओं का मोड़ दिया, हिम्मत करके अपनी कलम उठा कर, लोगों के भ्रम को तोड़ दिया, हासिल कर लिया एक मुकाम नया, पन्ना इतिहास में जोड़ दिया, उठना है मुझे अब गिरना नहीं गिरा तो फिर मुझे रुकना नहीं बस हर पल मुझे आगे बढऩा है राहों में मिलेंगे तूफान कई मुश्किलों को होंगे वार कई इन सब से मुझे ना कभी डरना है।
इन सब पंक्तियों के माध्यम से जिले के गांव मलापुर निवासी रोहताश बिश्नोई ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने के बाद अपने दूसरे अभियान साउथ अफ्रीका की सबसे बड़ी चोटी किलिमंजारो को फतह करके उपलब्धि हासिल की है। इसके लिए रोहताश का सफर जारी है जो उसने 21 जुलाई को मैंने 12.20 मिनट पर शुरू किया और 22 जुलाई को सुबह 6.29 मिनट पर हमारे देश की आन बान शान तिरंगे झंडे को चोटी पर लहराया। यह अभियान मैंने 19 घंटे 9 मिनट में फास्टेस्ट एसेंड किया और यह अभियान 24 तारीख को नेशनल पार्क के गेट पर 2.08 मिनट पर समाप्त हुआ।
रोहताश के अनुसार इस पूरे अभियान में उसे 26 घंटे 7 मिनट का समय लगा। यह अभियान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर था और इस अभियान को उसने विश्व रिकॉर्ड के लिए अलंकृत किया। इस अभियान में विक्टर व रामा और राहा टीम का सहयोग रहा। इस पूरे अभियान में उसे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिसमें से मुख्यत: रहना, खाना और अपने अंदर एनर्जी को बचाए रखना था। किलिमंजारो नेशनल पार्क की तरफ से उसे एक प्रमाण पत्र भी दिया गया है। रोहताश का कहना है कि अब वह अपने सारे दस्तावेजों के साथ वल्र्ड रिकॉर्ड एजेंसी को फास्टेस्ट एसेंड के लिए अप्लाई करूंगा। रोहताश ने इस अभियान में सहयोग करने पर विवेक बिश्नोई का आभार जताया है। विवेक ने ही इस अभियान में उसका सहयोग किया और उसे स्पॉन्सर करके इस मुकाम तक पहुंचाया। रोहताश ने ऐलान किया है कि जो सात महाद्वीप बचे हुए हैं, उनकी यात्रा भी वह भविष्य में पूरा करेगा।
रोहताश की इस उपलब्धि पर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के हिसार शाखा के अध्यक्ष सहदेव कालीराणा, सचिव अनिल भांभू ने उसे बधाई दी है और उसकी सफलता को समाज के लिए गौरवांवित करने वाली बताया है।