हिसार,
हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने 700 प्राइवेट बसें चलाने में जिस घोटाले की आशंका जाहिर की थी। वह सच साबित हुआ है। रोडवेज कर्मचारियों के आंदोलन ने एक बड़े घोटाले को उजागर करने का काम किया है। यह बात आज रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने एक बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि रोडवेज में इस घोटाले को अंजाम देने वाले रोडवेज विभाग के उच्चाधिकारियों व परिवहन मंत्री के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि रोडवेज की तालमेल कमेटी ने पहले ही सरकार को अवगत करवा दिया था कि 700 प्राइवेट बसें चलाने के फैसले के तहत 510 बसों को 37 रुपए 10 पैसे के ऊंचे रेट के हिसाब से हायर करने के फैसले से एक बड़ा घोटाला हुआ है। लेकिन रोडवेज विभाग के उच्चाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया कि इस फैसले से रोडवेज का फायदा होगा।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि रोडवेज विभाग के उच्चाधिकारियों की मंशा को समझते हुए विभाग को घोटाले से बचाने के लिए रोडवेज की तालमेल कमेटी ने 18 दिन तक हड़ताल की। इसके बाद परिवहन विभग के उच्चाधिकारियों व मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के साथ तालमेल कमेटी की बातचीत हुई। बातचीत में प्रधान सचिव ने कहा कि बचे हुए 190 बसों के ओपन टेंडर किए जाएंगे और ओपन टेंडर में कम रेट आए तो 510 बसों के टेंडर रद्द कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव के इस दावे की विडियो रिकॉर्डिंग भी देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस दौरान तालमेल कमेटी ने परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों से मुख्यमंत्री से बात करवाने की अपील की थी, लेकिन घोटाले से वाकिफ अधिकारियों ने तालमेल कमेटी की मुख्यमंत्री से बात नहीं करवाई। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री से बातचीत हो जाती तो सच्चाई सामने आ जाती और हड़ताल की नौबत नहीं आती।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि रोडवेज के उच्चाधिकारियों के कारण जहां आम जनता को 18 दिनों तक परेशानी उठानी पड़ी और सरकार की भी बदनामी हुई। वहीं इसके कारण रोडवेज को भी घाटा हुआ।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि यदि रोडवेज की तालमेल कमेटी हड़ताल नहीं करती तो उच्चाधिकारियों द्वारा रोडवेज में एक बड़े घोटाले को अंजाम दे दिया जाता। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश का युवा जहां रोजगार के लिए भटक रहा है और आम आदमी रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं रोडवेज अधिकारियों की मानसिकता घोटाले को अंजाम देने की थी। इसके लिए उन्होंने आम जनता में रोडवेज कर्मचारियों की छवि को खराब करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि अब आम जनता को भी समझ लेना चाहिए कि सरकार की मनमानी पर रोक लगाने के लिए संगठन बहुत जरूरी है। संगठन के माध्यम से ही सरकार की मनमानी का विरोध किया जा सकता है और इसको लेकर आंदोलन चलाने के लिए संगठन बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि रोडवेज का संगठन नहीं होता तो रोडवेज में सालाना 100 करोड़ से लेकर 125 करोड़ रुपए का घोटाला होता।
राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और घोटाले को अंजाम देने वाले रोडवेज विभाग के उच्चाधिकारियों व परिवहन मंत्री के खिलाफ कार्यवाही की जाए तथा रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा के तहत की गई कार्यवाही व बनाए गए केस वापस लिए जाएं।