हिसार

पराली प्रबंधन कर आमदनी बढ़ा सकते किसान : वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर ने गांव साहू में आयोजित किया किसान मेला

वर्चुअल कृषि मेले के बाद अब हर कृषि विज्ञान केंद्र पर किसान मेले आयोजित कर रहा एचएयू

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने वर्चुअल कृषि मेले के बाद अब प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र पर जिला स्तरीय किसान मेले आयोजित करने का फैसला लिया है। इन मेलों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के अलावा फसल विविधिकरण सहित अन्य जानकारियों से अवगत कराया जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर ने गांव साहू में एक किसान मेले का आयोजन किया। इस मेले का आयोजन इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के तहत किया गया। मेले में वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को फसलों के अवशेष जलाने की बजाय उन्हें जमीन में ही मिलाने पर जोर दिया गया। साथ ही उनका बेहतर तरीके से प्रबंधन करके किसानों की आमदनी बढ़ाने के तरीके भी बताए गए। कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ. नरेंद्र कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि पराली जलाने की नहीं बल्कि उसे मिट्टी में मिला कर गलाने की जरूरत है ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी हो सके। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ आम जनजीवन और भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। किसान पराली का उचित प्रबंधन करते हुए उसकी खाद व चारा तैयार कर बिक्री करके आमदनी बढ़ा सकते हैं। अभियंता अजीत सांगवान ने पराली को जमीन में मिलाने के लिए उपयुक्त मशीनों जैसे रोटावेटर आदि के बारे में जानकारी दी। साथ ही किसानों से जीरो ड्रिल व हैप्पी सीडर का प्रयोग करके गेहूं की सीधी बिजाई करने का आह्वान किया ताकि फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उनका भूमि में ही उपयोग किया जा सके और उवर्रा शक्ति बढ़ाई जा सके। मेले में आसपास के गांव के 200 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। मेले में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन, फसल उत्पादन, खरपतवार नियंत्रण, बागवानी व पशु पालन की जानकारी दी गई। कोरोना संक्रमण के चलते सामाजिक दूरी, मास्क व सेनेटाइजेशन का विशेष ध्यान रखा गया। इस दौरान मेले में फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनरी वह अन्य विभागों की स्टाल भी लगाई गई।
अवशेष जलाने से ही बढ़ती है स्मॉग वाली धुंध
अभियंता गोपीराम सांगवान ने बताया कि पराली जलाने से सूक्ष्म जीव व मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जिनकी भरपाई करना बहुत ही मुश्किल है। इसके अलावा अवशेष जलाने से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण में जहरीली गैसें घुल जाती हैं जो स्मॉग यानी धुएं वाली धुन्ध का कारण बनती हैं। इससे लोगों की शवसन संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं। इसके अलावा मिट्टी में मौजूद फायदेमंद जीवाणु व केंचुएं भी मर जाते हैं। डॉ. सत्यवीर कुंडू ने बताया कि पराली से बायोगैस बनाने की विधि और जैविक खाद व दरिया बनाने की विधियां विकसित की जा चुकी हैं। जिला बागवानी अधिकारी डॉ.सुरेंद्र सिहाग ने किसानों को बागवानी, जैविक खेती, किचन गार्डनिंग आदि की जानकारी के साथ हरियाणा सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं जैसे मशरूम, मधुमक्खी पालन, बागवानी, ड्रिप सिंचाई, पॉलीहाउस, कोल्ड स्टोरेज आदि की जानकारी दी।
प्रत्येक केवीके में लगाए जाएंगे किसान मेले
विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक (किसान परामर्श केंद्र) डॉ. सुनील ढांडा ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा अक्टूबर में आयोजित वर्चुअल कृषि मेले के बाद अब प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसान मेलों को आयोजित करने का फैसला लिया गया है। अब किसान मेलों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन, अवशेषों के बीच में ही हैप्पी सीडर व जीरो टिलेज से बिजाई जैसी जानकारियों से अवगत कराया जाएगा और किसान व विद्यार्थियों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे।

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