एचएयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर वेबिनार, शिक्षाविदों ने दिए सुझाव
हिसार,
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाने के लिए अह्म भूमिका निभाएगी। इसके लिए शिक्षकों का इस नीति के क्रियान्वन में अहम रोल होगा।
यह बात गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने कही। वे वीरवार को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय ऑनलाइन वेबिनार को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। वेबिनार की अध्यक्षता एचएयू के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने की। वेबिनार का मुख्य विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वन में शिक्षकों की भूमिका था। इस वेबिनार का आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल एवं नीति आयोग द्वारा एचएयू के सहयोग से आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बीआर कंबोज ने सभी अतिथियों का वेबिनार के शुभारंभ अवसर पर स्वागत किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि भारत सही मायनों में विश्वगुरू तभी होगा जब विश्व के प्रत्येक कोने से विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आकर्षित होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा को व्यवसाय में बदलने के गुण हैं और यह इस दिशा में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में विद्यार्थियों व शिक्षकों दोनों को स्वायत्तता मिलेगी और विद्यार्थी अपनी मनमर्जी से विषय चुन सकेंगे। इस शिक्षा नीति के आने के बाद विश्वविद्यालयों में भी किसी खास एक पाठ्यक्रम की बजाय सभी पाठ्यक्रमों की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वन में अपना योगदान देते हुए इसको रचनात्मक बनाएं और इसके गुणों को निखारें।
देश का भविष्य शिक्षकों के कंधों पर : समर सिंह
वेबिनार में एचएयू कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि देश का भविष्य शिक्षकों के कंधों पर है। जब शिक्षक तन-मन-धन से कार्य करेंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए तैयार होंगे तो देश को विश्वगुरू की उपाधि दोबारा से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि भारत की विरासत बहुत ही समृद्ध है, जिसका भूतकाल जितना उज्जवल था उतना ही भविष्य भी उज्जवल होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति अद्वितीय व सर्वसमावेशी
वेबिनार के मुख्य वक्ता, भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष एवं चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी के कुलसचिव जितेंद्र भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति अद्वितीय और सर्वसमावेशी है क्योंकि इसमें देश के सभी वर्गों के सुझाव शामिल किए गए हैं। इस शिक्षा नीति से वसुधैव कुटुम्बबकम की अवधारणा स्थापित होगी और देश ही नहीं मानवता का विकास होगा और भारतीय संस्कृति की पुन: स्थापना होगी। शिक्षकों को सम्मान व धन दोनों मिलेंगे।