धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—241

पुराने समय में एक आश्रम में गुरु अपने शिष्यों के साथ रहते थे। वे हमेशा यही सीख देते थे कि हमें अपना काम खुद करना...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—239

धीरज नाम का एक लड़का था। वह पढ़ने में काफी अच्छा विद्यार्थी था। उसने देश के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी। उसका...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—238

एक बार एक युवक घर बार छोड़कर सन्यासी बनने निकला। वह समझ चुका था की, जीवन में कोई अपना नहीं है। अपने भी मतलब के...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—237

एक अत्यंत समृद्ध राज्य था। वहां के राजा युवाओं को कभी खाली बैठने ही नहीं देते थे। उनमें आलस्य भरने का कोई अवसर उन्हें देते...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—236

मद्र देश के राजा शल्य, नकुल सहदेव की माँ माद्री के भाई थे। जब उन्हें यह ख़बर मिली कि पांडव उपप्लव्य के नगर में युद्ध...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—235

पांडवों के वनवास के दिनों में कई ब्राह्मण उनके आश्रम गए थे। वहाँ से लौटकर वे हस्तिनापुर पहुँचे और धृतराष्ट्र को पांडवों के हाल-चाल सुनाएं।...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—234

तेरहवाँ बरस पूरा होने पर पांडव विराट की राजधानी छोड़कर विराटराज के ही राज्य में स्थित ‘उपप्लव्य’ नामक नगर में जाकर रहने लगे। अज्ञातवास की...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—233

गंगा एक सुंदर युवती का रूप धारण किए नदी के तट पर खड़ी थी, उनके सौंदर्य और नवयौवन ने राजा शांतनु को मोह लिया था।...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—232

महाभारत के तेरहवें दिन भी संशप्तकों (त्रिगर्तों) ने अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। अर्जुन भी चुनौती स्वीकार करके उनके साथ लड़ता हुआ दक्षिण दिशा...