धर्म

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सत्यार्थप्रकाश के अंश—02

Jeewan Aadhar Editor Desk
जिन पुरूषों का मन विद्या के विलास में तत्पर रहता, सुन्दर शील स्वभाव युक्त, सत्यभाषणादि नियम पालनयुक्त और अभिमान अपवित्रता से रहित, अन्य की मलीनता...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—64

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मनुष्य जितने भी पाप करता है उसके मूल में उसका अंह ही पलता है। अभिमान में आदमी अन्धा हो जाता है और न करने के...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—63

Jeewan Aadhar Editor Desk
परमात्मा के विरोधी, नास्तिक, पापी , इनके साथ कभी मत रहो,नहीं तो सूर्य चन्द्रमा के समान दाग भी लग सकता हैं। अच्छे कार्य करनेवाले देवता...