धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—224

एक बार धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया। असुरों की दृष्टि स्वर्ग पर अधिकार जमाने पर टिकी थी। इससे भयभीत होकर स्वर्ग के सभी...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—223

एक बार, कृष्ण के जन्मादिवस के अवसर पर उत्सव मनाने के लिये बहुत बड़ी तैयारियाँ की गयीं थीं। नृत्य संगीत और भी बहुत कुछ! लोग...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—221

क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं? यदि खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती? और यदि नहीं खाते हैं,...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—220

हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके न ही किसी पशु द्वारा। न दिन...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—219

Jeewan Aadhar Editor Desk
क्षीरसागर में एक त्रिकूट नामक एक प्रसिद्ध एवं श्रेष्ठ पर्वत था। उसकी ऊँचाई आसमान छूती थी। उसकी लम्बाई-चौड़ाई भी चारों ओर काफी विस्तृत थी। उसके...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—218

Jeewan Aadhar Editor Desk
सत्यभामा कृष्ण की दूसरी पत्नी थी। वो एक बहुत ही घमंडी स्त्री थी। उसका ये मानना था कि वो सबसे सुंदर और सबसे अमीर स्त्री...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—216

महाभारत युद्ध में अर्जुन और कर्ण आमने-सामने थे। दोनों दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से लड़ रहे थे। जब-जब अर्जुन के तीर के कर्ण के रथ पर लग...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-215

द्वारका में एक सूर्य भक्त था सत्राजित। उसे सूर्य देव ने स्यमंतक नाम की चमत्कारी मणि दी थी। ये मणि रोज बीस तोला सोना उगलती...