धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—506

दो मित्र थे। दोनों के मध्य मित्रता अवश्य थी, किन्तु दृष्टि और विचार दोनों के भिन्न-भिन्न थे। एक आलसी था और सदैव भाग्य के भरोसे...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—502

एक संत के आश्रम में सैकड़ों गायें थी। गायों के दूध से जो भी धन आता उससे आश्रम का संचालन कार्य होता था। एक दिन...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—501

दंडी स्वामी बहुत बड़े विद्वान थे। वे सत्य के आग्रही थे और अहंकार व पाखंडी से दूर रहते थे।उनका आश्रम मथुरा में था। उसने शिक्षा...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—500

एक बार राजा युधिष्ठिर ने यज्ञ करवाया और उसके बाद उन्होंने ब्राह्मणों को इतना दान दिया कि वो अपने साथ उसे नहीं ले जा सके।...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—499

उन्नीसवीं शताब्दी का एक प्रसंग है। पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले के वीर सिंह नामक गाँव में एक मां अपने पुत्र के साथ रहती थी।...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—498

ऊँचे आकाश में सफेद कबूतरों की एक टोली उड़कर जा रही थी। बहुत दूर जाना था उन्हें। लंबा रास्ता था। सुबह से उड़ते-उड़ते थकान होने...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—497

एक शहर में एक बहुत अमीर व्यक्ति रहता था। उसका नाम तो था धनीमल लेकिन था वह बेहद कंजूस। उसका कहना था कि अगर आप...