धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—155

एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों बड़े ईश्वर भक्त थे। ईश्वर उपासना के बाद वे आश्रम में आए रोगियों की चिकित्सा में गुरु की...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—154

उस समय कथावाचक व्यास डोगरे जी का जमाना था बनारस में। वहां का समाज उनका बहुत सम्मान करता था। वो चलते थे तो एक काफिला...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—153

वाजिश्रवा ने अपने पुत्र नचिकेता के लिए यज्ञ-फल की कामना से विश्वजित यज्ञ आयोजित किया। इस यज्ञ में वाजिश्रवा ने अपना सारा धन दे डाला।...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—152

अश्वघोष को वैराग्य हो गया। भोग-विलास से अरुचि और संसार से विरक्ति हो जाने के कारण उसने गृह-परित्याग कर दिया। ईश्वर-दर्शन की अभिलाषा से वह...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—151

Jeewan Aadhar Editor Desk
ब्रह्माजी की इच्छा हुई “सृष्टि रचें।” उसे क्रियान्वित किया। पहले एक कुत्ता बनाया और उससे उसकी जीवनचर्या की उपलब्धि जानने के लिए पूछा -“संसार में...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—150

शबरी यद्यपि जाति की भीलनी थी, किंतु उसके हृदय में भगवान की सच्ची भक्ति भरी हुई थी। बाहर से वह जितनी गंदी दिखती थी, अंदर...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रचवनों से—149

Jeewan Aadhar Editor Desk
पांडव वन में थे। एक दिन उन्हें बहुत जोरों की प्यास लगी। सहदेव पानी की तलाश में भेजे गए। शीघ्र ही उन्होंने एक सरोवर खोज...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—147

एक मंदिर था। उसमें सब लोग पगार पर काम करते थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी,घंटा बजाने वाला भी पगार पर था… घंटा बजाने...